महामारी और लॉक्डाउन के संघर्ष के इन दिनों में किसी ने लिखा -we all are sailing in the same boat ।पढ़ने के बाद से मन में एक बैचेनी सी है।क्या सच में हम सब एक ही नाव में सवार हैं?
घरों के अन्दर रह कर भी सबका जीवन अलग-अलग प्रकार का है ।कुछके लिए साप्ताहिक दिनचर्या है -ऑफ़िस के लिए समय से लॉगइन होना ( उन्हें शिकायत है काम बढ़ गया है ) ,कुछ को अकेलेपन से लड़ना पड़ रहा है ,कुछ चाय-कॉफ़ी-सिगरेट पी पी कर समय काट रहें हैं तो कुछ कूड़े के ढेर में
से भोजन टटोल रहें हैं ।कुछ इसलिए काम पर वापस जाना चाहते हैं क्यूँकि उनके सम्मुख
अब परिवार के पेट पालन की समस्या मुँह बाए खड़ी है -निश्चित नहीं कि नौकरी रहेगी कि ख़त्म हो जाएगी ।कुछ सरकार को जी भर कर गाली दे रहें हैं ,कुछ को लगता है यह कुछ ऐसी गम्भीर समस्या नहीं केवल मीडिया और सरकार की मिली भगत है ।कुछ प्रार्थना में लीन हैं कि शायद कोई चमत्कार हो जाए ।ऐसे भी हैं जो corona से पीड़ित होकर स्वस्थ हो गये और कुछने अपने प्रियजन को खो भी दिया ।
स्पष्ट है कि हम सब एक ऐसे दौर से गुज़र रहे हैं जहाँ हमारी सोच और आवश्यकता एकदम भिन्न है और इस तूफ़ान के गुज़र जाने के बाद अलग होगी ।हम सब दूसरों की पीड़ा को समझ कर उसे बाँटने का प्रयास करें ।हमें अपनी नाव सबको साथ लेकर ज़िम्मेवारी और करुण भाव के साथ खैनी है तभी कह पायेंगे-during storm we sailed in the same boat.