Category: सामन्य विषय

घिर आओ बदरा रे घिर आओ न ।जून बीता ,जुलाई आधा बीतने को है पर आकाश के किसी कोने से बादल घिरते नजर नहीं आ रहे ।तपते दिन ,गर्म रातॅ ,गर्म हवा ,कटती बिजली सब दिमाग को और गरमा रहॅ हैं ।रोज सुबह उठ कर पहले खिड्की से बाहर झांकती हूं कि आकाश साफ है या बादलॉ से घिरा है ।फिर बाहर निकल कर पाती हूं कि पूर्व दिशा सुनहली हो रही है पुरवैया नहीं चल रही हवा भी बंद है ।आजकल मीडिया ने इतने सिंगर पैदा कर दिए पर कोई तानसेन नहीं कि मल्हार राग गाकर वर्षा को बुला ले ।

बालीवुड  की ढेरॉ  फिल्मॉ मॅ वर्षा के अनेकानेक गीत हैं F M रेडियो पर उन गीतॉ को बजाया भी जा रहा है पर लगता है बादल भी नई जेनेरेशन की भांति टेकसेवी हो गए हैं वे चाहते हैं कि ऍसी वेबसाइट बनाई जाए ,सोशल मीडिया एक्टिव हो जाए लाखॉ लोग उसे  विजिट करॅ तो फिर वे बरसेंगे तो  शुरूआत आज ही से करते हैं ।बरसो रे बदरा बरसो रे ,मेघा बरसो रे ।…

कल कालेज से घर वापस लौटते हुए ड्राइवर ने अचानक मुझसे पूछा ,”मैडम क्या वास्तव में अच्छे दिन आने वाले हैं ?क्या मेरे कमरे का किराया कम हो जायेगा ?क्या मकानमालिक 7 rs. यूनिट के स्थान पर 3 rs.यूनिट के हिसाब से बिजली का बिल लेगा ?”मेरे पास इसका कोई उत्तर नहीं था ।बडी-बडी योजनाऑ के द्वारा मोदी सरकार ‘सबके अच्छे दिन आने वाले हैं’ की सभी इच्छाऑ को आने वाले वर्षॉ में कैसे पूरा कर पायेगी यह देखना है ।

वर्षॉ से इसी रास्ते से कालेज जाते हुए अक्सर कमलानगर की लाल बत्ती पर जब गाडी रुक जाती है तो मेरी निगाहें बरबस स्कूल की दीवार के साथ एक बडे पेड के नीचे चबूतरे पर वर्षॉ से रहने वाले परिवार की और उठ जाती हैं ।एक दबंग सी महिला कभी खाना बनाते हुए ,कभी बच्चॉ को स्कूल के लिए तैयार करते हुए ,कभी कपडे धोते हुए ,कभी अपने पति से झगडते हुए दिख जाती है ।वहीं पास में ही एक साइकिल रिक्शा पर रक्खे हुए एक बडे से बक्से में उस परिवार का सामान ठूंसा रहता है –कपडे-लत्ते ,आटा,दाल ,चावल ,मसाले ,बिस्तर आदि । कई बार सोचती हूं कि उतर कर जाउं और उससे बात करुं कि वह कैसे सब मैनेज करती है ? बच्चे बडे हो रहे हैं ,रात के समय बडी होती बेटियॉ की दिल्ली जैसे शहर में रखवाली कैसे कर पाती है ?ये तमाम सवाल मुझे घेर लेते हैं ।गाडी आगे चल पडती है और मै …

काशी या बनारस एक ही शहर के दो नाम ,ऐसे ही जैसे राम कहो या रहीम कहो मतलब तो एक ईश्वर से ही है। काशी शब्द संस्क्रत के “कश”शब्द से बना है जिसका अर्थ है चमकना और वास्तव मॅ प्राचीन काल से ही धर्म,संस्क्रति और शिक्षा के क्षेत्र में विश्व में प्रसिद्ध रहा है ।शिव की नगरी काशी –ऐसा माना जाता है कि शिव यहां विश्वेश्वर और अविमुक्तेश्वर रुप में विराजमान हैं ।काशी के पास सारनाथ में महात्मा बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश दिया था ।शंकराचार्य,पतंजलि,रामानुजाचार्य ,तुलसीदास,रामानन्द,कबीर जैसे महान धर्म प्रचारक ,सुधारक काशी की देन हैं ।

यॉ तो कबीर ने कहा है–जो कासी तन तजे सरीरा रामहि कहां निहोरा और वे स्वयं मरने से पहले काशी छोड कर चले गये पर मणिकरणिका घाट पर निरन्तर जलती चिताऍ काशीवास शब्द को चरितार्थ करती हैं ।अनेकानेक वर्षॉ तक दूरदराज से लोग अपने जीवन के अतिंम काल में काशी चले आते थे इस सोच के साथ कि यहां मरेंगे तो मोक्ष मिल जायेगा यानि बार-बार के जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति ।कितना सत्य है नहीं जानती पर आज भी आपको काशी की कुछ खास धर्मशालाऑ में दूर के अनेक गांवॉ -शहरॉ से अपने अन्तिम सांसॅ गिनते लोग मिल जायेंगे जो इसी सोच को लिए हैं कि शिव की नगरी में …

होली— याद आते हैं स्कूल  में किए ग्रुप डांस के गीत के बोल “आयो री रितुराज आज ये होरी खेलन आयो ….उड्त गुलाल लाल भयो बादल केसर कीच मचायो”।उल्लास का पर्व होली धूम मचाता आता है ।सबको मस्त करता ।हंसते-गाते-नाचते बच्चे-युवा -बूढे सब जैसे पागल हो उठते हैं ।अनेकानेक रंगॉ से लिपे-पुते चेहरे ,पकवानो की महक ,भांग की ठंडाई सब को एक मस्ती के आलम में ले जाती है।यॉ  तो फाल्गुन आते ही पूरा वातावरण महक उठता है ।बाग-बगीचे अनगिनत रंगॉ के फूलॉ से भर जाते हैं ,शीतल-मंद-सुगंधित हवा ठहरती -नाचती -ठुमकती चलती आती है,हॉठ अपनेआप गुनगुना उठते हैं ।कुछ पेड पत्रविहीन हो जाते हैं जैसे पलाश का ।पत्ता -पत्ता झर जाता है और पूरा पेड लाल रंग के पूलॉ से भर जाता है ।बरसॉ पहले देखे टी.वी के एक सीरियल मॅ नायिका अपने प्रेमी से बंसत के एक सुहाने दिन अनुरोध करती है–’जब-जब तुम मेरे घर आना फूल पलाश के ले आना “।कारण चाहे कुछ भी रहा हो पर फूलॉ से लदा पेड मन को मोह लेता है ।आम का पेड नए पत्तॉ और बौर से लदा अलग झूमता है ।हमारे देश मॅ पतझड और फिर बसंत और बसंत समाप्त होते -होते होली जैसे कह रही हो धूम मचा ले फिर तो गर्मी के तपते दिन आ रहॅ हैं ।

फाल मतलब पतझड।उतरी अमेरीका मॅ सितम्बर का महीना रंग-बिरंगे फूलॉ से भरा होता हैतो अक्टूबर के दूसरे सप्ताह के आते-आते कुछ पेड लाल तो कुछ तांबई रंग के पत्तॉ से भर उठते …

कडकती सर्दी ने तीन महीनॉ तक मेरी सैर बन्द कर दी थी ।मौसम अब कुछ खुला और मन ने निश्चय कर लिया कि बस फिर से सुबह की सैर शुरु ।पहले दिन कुछ आलस आ रहा था पर निश्चय कहीं डगमगा न जाए इसलिए अच्छे से गर्म कपडे पहन कर चल पडी ।वस्तुत मैंने सुबह की व्यस्त दिनचर्या मॅ आधा घंटा सैर के लिए नियत कर रखा है ।खुले दिनॉ की भांति पार्क अभी भरा नहीं था ,गिनती के लोग ही सैर कर रहे थे ।कुछ परिचत चेहरॉ से हेलो-हाय हुई ।सैर करते हुए एक व्यकित के मोबाइल पर “कसमॅ वादे प्यार वफा सब वादॅ हैं वादॉ का क्या ” गाना सुनाई पडा तो कोई अन्य पास से गुजरा तो भजन बज रहा था ।मेरा मन भी मेरे साथ सैर करते-करते 70 के दशक मॅ पहुंच गया ।मेरा भाई एक छोटा सा जापानी ट्रांजिस्टर लाया था लगभग आज के स्मार्ट्फोन के बराबर के साइज का।बडे से रेडियो और बडे ट्रांजिस्टर के स्थान पर एकदम स्मार्ट ट्रांजिस्टर और कान मॅ लगा कर सुनने की सुविधा भी ।मजा आ गया ।हम दोनॉ मॅ आपस मॅ लडाई का दौर शुरु पर आंख मूंद कर चुपचाप गाने सुनने का बडा लुत्फ आता था ।आज मोबाइल “all in one’ है ।40 वर्ष पश्चात हाथ मॅ मोबाइल है जो एक साथ न जाने मेरी अनगिनत ख्वाहिशॉ को पूरा कर देता है ।नमो नमो तकनीक देवता ।मेंने भी अपना मोबाइल आन किया और हनुमान चालीसा सुनने लगी \…

धन्यवाद मेरे बच्चॉ,प्रिय विद्यार्थियॉ ,मित्रॉ का जिन्हॉने अपनी शुभकामनाऑ की मीठी -मीठी बोछारॉ से मेरे तन-मन को भिगो डाला है ।शनिवार से हुई जन्मदिन की celebrations कल रात के डिनर पर खत्म हुई ।नेहरु जी ने लिखा है ” जब छोटा था तो सोचता था कि मेरा जन्मदिन साल में दो बार क्यॉ नहीं आता ,कितना मजा आता है जन्मदिन पर ,पर अब जब बडा हो गया हूं तो सोचता हूं कि दो साल में एक बार आये तो अच्छा है” ।पर बडे हो जाने पर भी मुझे अपना जन्मदिन का हर साल आना ,कुछ मित्रॉ का surprise देना विद्यार्थियॉ का फूलॉ से लाद देना और उसे मनाना अच्छा लगता है ।oh i realy enjoyed very much thanx everybody..…

भारतीय क्रिकेट टीम बडे गर्व से कहतीहै “अरे हमें कोई नहीं हरा सकता क्यॉकि हमारे पास सचिन है” ।आज जब सचिन तेंदुलकर ने २०० मैच के बाद क्रिकेट से संन्यास लेने का निर्णय ले लिया है तो मन मॅ उथल-पुथल हो रही है -क्या क्रिकेट् जगत मॅ सचिन के बिना हम अपनी पहले जैसी छवि कायम रख पायॅगे ? पर सचिन ने बहुत सहज मन और सोच-विचार के ही यह निर्णय लिया है। “To play for India” के मोटो के साथ खेलने वाले खिलाडी सचिन के जीवन का यह मूलमंत्र है ।25 वर्षॉ तक निरंतर देश-विदेश के करोडॉ क्रिकेट प्रेमियॉ के मन के सम्राट बने रहे सचिन ने भारत को अनेक गर्व के बहुमूल्य पल दिए हैं ।

”hats off to you Sachin”…

दो दिन पूर्व २२ वर्षीय फोटो जर्नलिस्ट के साथ मुम्बई मॅ हुए सामूहिक बलात्कार ने हमारा सिर शर्म से झुका दिया है ।मुम्बई को दिल्ली की अपेक्षा स्त्रियॉ के लिए अधिक सुरक्षित कहा जाता था पर शाम के समय अपनी assignment को अपने साथी के साथ पूरा करने के लिए गई युवती के साथ घटी शर्मनाक घटना ने अनेक प्रशन मन मॅ उतपन्न कर दिए हैं ।क्या हम सभ्य समाज के हैं ? उस समाज के जहां नारी को पूजा जाता है ।क्या हम बर्बर हैं जिनके लिए शारीरिक भूख ही सब कुछ है ।एक दरिंदे से लडने की शक्ति तो शायद हो सकती है पर पांच पर काबू पाना अकेले असंभव है ।फिर क्या करें हमारी बेटियां ? क्या उन्हॅ हम घरॉ मॅ बैठा लें ,घर से बाहर जाने पर रोक -टोक लगा दॅ । आज आवशयकता है मानसिक सोच बदलने की ,नारी को सम्मान देने की, आत्म-रक्षा के अनेकानेक उपाय सिखाने की और सबसे जरुरी है दोषियॉ को कडी से कडी सजा अति शीघ्र दिलवाने की जिससे फिर इस तरह की घटना घटित न हो ।…

पिछले दिनॉ मैक्सिकन लेखिका  LAURA ESQUIVELके उपन्यास “Like water for chocolate” का Carol and Thomas Chrstensen द्वारा किया गया अंग्रेजी रुपान्तरण  पढा ।यह एक भिन्न शैली मॅ लिखा गया उपन्यास है ।साल के बारह महीनॉ की किशतॅ हैं ।बारह महीनॉ के बारह अध्यायॉ मॅ हर महीने एक नये मैक्सिकन खाने की Recipe हैं ,रोमांस है और साथ मॅ हैं कुछ घरेलू नुस्खे -घर के सामान की देखभाल के लिए,छोटी-मोटी बिमारियॉ  से मुक्त्त होने के लिए ।वास्तव मॅ यह एक बहुत सरल पर अपनी सरलता मॅ रोचकता लिए हुए अद्भुत उप्न्यास है ।प्रेम,सेक्स,युद्ध और मैक्सिको के इतिहास की कहानी जिसमॅ स्त्रियॉ का बहुत योगदान है । Los Angeles Times ने इसके बारे मॅ लिखा है———-

“A wondrous romantic tale.Esquivel has given us a banquet ”

यह पूर्ण सत्य है ।…

अभी तक तो हम वेजेटेरियन या नान वेजेटेरियन की बात करते थे अब एक नया नाम veganismका सुनाई पड रहा है ।इसका अर्थ होता है मांस-मछली और दूध से बने उत्पादॉ जैसे-पनीर ,दूध दही आदि से भी परेहज करना । वेजेन के अनुसार जीने का यह स्वस्थ साधन है, साथ ही जानवरॉ के प्रति क्रूरता से बचना और पर्यावरण का ध्यान रखना भी है ।उनके अनुसार गाय के बछडॉ को गाय से इसलिए अलग करना कि मनुष्यॉ को दूध मिल सके क्रूर व्यवहार है ।इसलिए वे दूध उत्पादॉ से दूर रहते हैं । SHARAN ( Sanctuary For Health and Reconnection to Animals and Nature) भार त मॅ भी इस कार्यक्रम को लोकप्रिय बनाने मॅ लगी है । उनका दावा है कि 21दिन के रोग मुक्ति प्रोग्राम ने लोगॉ की 70 प्रतिशत दवाईयॉ कम कर दी हैं ।दूध की जगह आप पीनट मिल्क ,बादाम मिल्क और सोया मिल्क का प्रयोग करॅ ।शुगर,मोटापा से मुक्ति भी मिल सकती है।यही है Veganism |…