Category: यात्राऍ

परिवर्तन जीवन का सत्य है |हम पृथ्वी  के धरातल पर होने वाले परिवर्तनों के देख सकते हैं परंतु सतह के नीचे करोड़ों वर्षों से जो परिवर्तन होता हैं उनकी जानकारी भूगर्भ वैज्ञानिकों से ही प्राप्त होती है |इन रहस्यों से परिचित होने का अवसर कई बार हुआ है परंतु दो बार अलग -अलग स्थानों पर अलग देशों में जो देखा वह अविस्मरणीय है _अद्भुत साम्यता पर  एक स्थान पर विज्ञान तो दूसरे स्थान पर धर्म की प्रभुता |अविस्मरणीय यात्रा –

कुछ वर्ष पूर्व की अमेरिका यात्रा में स्वाति और क्षितिज ( बेटी-दामाद )भी साथ में थे |पूर्वी अमेरिका के न्यू जर्सी राज्य के एडीसन नगर में बड़ी बेटी -दामाद -नीति रोहित के पास हम सब ठहरे हुए थे |सप्ताह भर इधर -उधर भ्रमण के पश्चात  सप्ताह के अंत में वर्जीनिया राज्य में ‘नेशनल पार्क शेननडोह ‘ और अमेरिका की राजधानी ‘वाशिंगटन ‘देखने का प्रोग्राम बना |शनिवार सुबह 4 बजे सब तैयार थे |पाँच -छह घंटे की यात्रा थी अतः रास्ते के लिए सैंडविच ,पराँठे ,चिप्स ,बिस्कुट ,फल ,कोल्ड ड्रिंक ,पानी ,बर्फ सब रख  लिए थे |हाई वे पर कारों की काफी आवाजाही थी |सब अपनी -अपनी मंजिलों की दौड़ में थे |मौसम बहुत सुहावना था |फाल सीजन के चलते पेड़ों के पत्तों का रंग बदल रहा था -हरा,लाल,तांबई , भूरा ,सुनहरी |न्यू जर्सी से चल कर ‘ connecticut ‘ फिर ‘delaware ‘ और फिर ‘baltimore ‘ पहुंचे…

सुबह सब जल्दी उठ कर तैयार हो गए | एयरपोर्ट के लिए टैक्सी रात को ही बुक कर दी थी |टैक्सी समय से पहले ही पहुँच गई | जल्दी से अपार्टमेंट ठीक किया अपना सामान उठा कर और निर्धारित स्थान पर चाबी छोड़ कर हम नीचे आए और सामान रख चल पड़े | टैक्सी वाला अंग्रेजी बोल सकता था अतः उससे बातचीत करने में कठिनाई नहीं हो रही थी | शहर सोया हुआ था केवल बत्तियाँ जगमगा रही थी | दूर Eiffel Tower की लाइट दिखाई पड़ रही थीं | पूर्व में लालिमा फैल रही थी | यहाँ सर्दियों में जहाँ सूर्य देर से निकलता है और शाम तीन-चार बजे ही अंधेरा घिर आता है वहाँ गर्मियों में सूर्य जल्दी निकलता और सूर्यास्त भी शाम को बहुत देर से होता है | Seine नदी चुपचाप बहती जा रही थी बिना किसी तैरती नाव या क्रूज के, अपने में डूबी शांत | लहरों के साथ लालिमा खिलवाड़ करती हुई | कहीं- कहीं कोई जॉगिंग करता या इक्का -दुक्का लोग सैर करते दिखाई पड़ रहे थे | भागती टैक्सी से सब कुछ निहारते कब एयरपोर्ट पर पहुँच गए पता ही नहीं लगा |सामान उतार कर टैक्सी की पेमेंट की और अंदर प्रवेश किया |मेरी फ्लाइट 10 बजे की थी और बच्चों की 8 बजे की मेरे पास अभी काफी समय था पर मुझे मेरे टर्मिनल पर छोड़ कर फिर अपने टर्मिनल पर गए | मिलन और विछोह मानव के जीवन के अभिन्न अंग हैं | जहाँ सप्ताह पूर्व मिलन की खुशी थी वहाँ आज बिछुड़ने का दुख | अपने अश्रु छिपा कर मैंने उन्हे विदा दी |

मैं अपना सामान लिए इधर-उधर टहलती हार थक कर एक स्थान पर बैठ गई | प्रतीक्षा के क्षण समाप्त

आज फ़्रांस में हमारा आखिरी दिन था। सुबह की चाय के साथ गपशप और फिर घूमने जाने की तैयारी व नाश्ता। समय से तैयार होकर बस लेने पहुंचे। हमने Hop-On-Hop off का तीन दिन का टूर लिया था उसी में हमारा पेरिस की मुख्य नदी Seine का cruise ट्रिप भी सम्मिलित था जिसका समय 11.30 बजे था। अभी समय था अतः हम पहले ARC DE TRIOMOH देखने गए। यह शहर के बीचोंबीच स्थित है। 1806 में नेपोलियन ने दोनों विश्व युद्धों व फ्रांसीसी क्रांति में शहीद होने वाले सिपाहियों की याद में बनवाया था। जनरल और विभिन्न योद्धाओं के नाम लिखे हैं और अनजान सिपाही की कब्र है। Champ Elysees Shopping area में उतरे थे। वहीं से अनेक रास्ते सड़क के नीचे से यहाँ पहुंचाते हैं। दिल्ली के इंडिया गेट की तरह का ही स्मारक है। बाहर का ढांचा भी वैसा ही। कुछ समय बिताने के बाद अपने अगले पड़ाव की ओर प्रस्थान किया।

हमारी मंजिल दो स्टॉप के बाद ही थी अतः दस मिनट में ही पहुँच गए। Eiffel Tower के पास नदी के बाएं किनारे या ‘RIVE GAUCHE’ (दायाँ किनारा या RIVE DROITE) पर बस ने हमें उतार दिया। Seine नदी अपनी विशेष नावों ‘Bateaux mouches’ के लिए बहुत प्रसिद्ध है जो बहुत रोमांटिक हैं। वर्षों पहले देखी बॉलीवुड की फिल‘एन ईवनिंग इन पेरिस’ की याद आ रही थी जिसमें शम्मी कपूर शर्मिला टैगोर के लिए पेरिस में एक गाना गाता है जिसे क्रूज में भी फिल्माया गया है। अनेक प्रकार के क्रूज इस नदी में चलते हैं 10 यूरो से 200 यूरो (1.5 घंटे से…

सुबह हम जल्दी उठ गए थे। चाय पीकर रोहित अपने काम में लग गए और मैं और नीति नाश्ते के लिए कुछ सामान लेने चले। शहर अभी सो रहा था। सड़क पर गिने चुने लोग ही दिखाई दे रहे थे। एक जैसी इमारतें बहुत ऊंची नहीं कि सिर उठा कर देखना पड़े, हर बालकनी में मुस्कराते फूलों की टोकरियाँ। एक किलोमीटर चलने के बाद दो तीन ब्रेड की दुकानें दिख पड़ी। ताजी बनी ब्रेड की सुगंध वातावरण में फैली हुई थी। ब्रेड, बटर, macroon और croissant लिए और लौट आए। नाश्ता कर तैयार हो बस लेने के लिए निकल पड़े। साढ़े नौ बजे पहुँचना था। बस में कुछ पर्यटक बैठे थे हमने कुछ आस-पास की तस्वीरें ली। गर्मी नहीं थी अतः ऊपर जा कर बैठे जिससे बाहर के दृश्य का आनन्द उठा सकें। बातें करते, गाइड को सुनते, इधर-उधर देखते कब हमारा स्टॉप आ गया पता ही नहीं चला। नीचे उतर कर जीपीएस से आगे जाने का मार्ग देखा और चले।

मुख्य सड़क को पार कर एक छोटे मार्ग से हम आगे बढ़े। SACRE COEUR रोमन कैथोलिक चर्च ही नहीं वरन पेरिस शहर का दूसरा सबसे ऊंचा स्थान और मुख्य आकर्षण केंद्र है। यहाँ हर वर्ष 10 मिलियन तीर्थयात्री और पर्यटक आते हैं। यह Montmartre पहाड़ी पर 130 मीटर ऊंचाई पर स्थित हैSACRE COEUR इस फ्रेंच शब्द का अंग्रेजी में अनुवाद sacred heart है। राजनैतिक, सांस्कृतिक स्मारक भी है जो मध्यकाल और फ्रांसीसी क्रांति से भी जुड़ा हुआ है। अब दोनों और दुकानें शुरू हो गई थी जिनमें स्मृति चिन्ह और उपहार में देने के लिए वस्तुओं की भरमार थी। अधिकतर…

सुबह सब जल्दी उठ गये ।चाय का दौर चल रहा था नीति कहने लगी साथ रह कर ऐसा लग रहा है जैसे हम लोग भारत में आपके पास रहने आए हुए हैं ।आज साढ़े नौ तक Champ de Mars पर पहुँचना था जहाँ से Big Bus टूर ( पेरिस के दर्शनीय स्थान घूमने के लिए पर्यटन विभाग का पैकिज टूर) लेना था ।तैयार होकर नाश्ता किया ।पहले दिन शाम को हो baguette ( एक लम्बी पतली फ़्रेंच ब्रेड जिसमें मक्खन चीज़ आदि लगा कर खायी जाती है ) macarons,croissants आदि ले आये थे ।एक बैग में कुछ खाने -पीने का सामान और पानी की बोतलें रखी और चल पड़े ।बस मिलने का स्थान लगभग एक किलोमीटर था मेट्रो स्टेशन के साथ ही ।सड़क पर गाड़ियों की आवाजाही थी ,कुछ साइकल सवार भी थे और कुछ इलेक्ट्रिक स्कूटर सवार ( pollution friendly) ।हमें जिस स्थान से बस लेनी थी वहाँ पहुँच कर अद्भुत दृश्य देखा ।विश्व के सात आश्चर्यजनक स्थानो में से एक -Eiffel tower अपने पूर्ण रूप में दृष्टिगत हो रहा था ।कल शाम सात बजे वहाँ जाने की हमारी टिकिट थी ।टिकिट दिखा बस में ऊपर बैठे । गाइड था और हर सीट पर earphone और टूर का प्रोग्राम रखा था ।आप सुबह साढ़े नौ से शाम सात बजे तक किसी भी टूर के निर्धारित स्थान पर उतर कर फिर वहीं से बस ले सकते हैं ।गाइड अंग्रेज़ी में सब कुछ बताता चल रहा था ।

आज हमें Louvre Museum सबसे पहले जाना था क्योंकि ग्यारह बजे की हमारी टिकिट थी ।पेरिस फ़्रान्स की राजधानी के साथ साथ कला , फ़ैशन, पाककला , भोजन संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है । …

सुबह -सुबह सब नाश्ता कर ७ बजे पेरिस के लिए निकलने के लिए तैयार थे ।अपार्टमेंट बन्द कर चाबी यथास्थान रख दी ।मौसम सुहावना था ।योरप में गर्मी का समय है पर हमारे अक्टूबर माह की भाँति सुबह -शाम सुहावनी और दोपहर तेज़ गर्म चुभने वाली धूप ।पेरिस जाते हुए हमें Versailles palace देखते हुए जाना था ।यह पेरिस के दक्षिण-पश्चिम में १६ किलोमीटर की दूरी पर राजमार्ग पर है । 1682-1789 ( फ़्रांसीसी क्रांति प्रारम्भ होने तक)यह फ़्रान्स के राजाओं का वैभवशाली राजमहल रहा है ।Louis 14 ने इसका निर्माण किया था ।जब किसी वैभवशाली राजमहल को किसी ग्रामीण परिवेश में निर्मित किया जाता था तो फ़्रेंच भाषा में उसके लिए ‘Chateau‘ शब्द का प्रयोग करते थे ।आज स्थिति परिवर्तित है Versailles गाँव नहीं सुन्दर नगर है ।आठ -सवा आठ के क़रीब हम पहुँच गए ।

धूप तेज़ हो रही थी लाइन लम्बी थी पर मन में देखने की इच्छा भी थी ।टिकिट ले क़तार में लग गये ।तीन बजे तक पेरिस भी पहुँचना था तो विचारा कि कुछ दर्शनीय स्थल देख कर निकल लेंगे ।यह राजमहल प्रतीक है उस काल की यूरोपीय राजसी मानसिकता का कि राजा का प्रभुत्व सर्वोच्च है -मानवता और प्रकृति दोनो पर ।2300कमरों के महल के ८७ गज़ के प्रवेश द्वार पर १००,००० सोने की पत्तियाँ मढ़ी हैं । इस महल में राजसी कक्ष ,कार्यालय ,सलून ,हज़ारों कर्मचारियों के घर ,फ़्रान्स के इतिहास का म्यूज़ीयम ,हॉल ऑफ़ मिरर्ज़ के चमकीले भड़कीले बहुमूल्य झाड़-फ़ानूस…

आधी रात को कुछ खटपट सुनाई पड़ी देखा तो Saanvi लाइट जला कर कुछ पढ़ रही है ।समय के अंतराल के कारण उसे नींद नहीं आ रही थी और फिर नानी के खर्राटे तंग कर रहे थे ।सुबह सब देर से उठे तो प्रोग्राम कुछ बदल गया ।चाय का दौर चला गपशप हुई और सब तैयार होने लगे ।रोहित ने नाश्ते के लिए शाम को ही ब्रेड और croissants (एक प्रकार की नमकीन मीठी कई लेअर वाली फ़्रेंच पेस्ट्री ) ला रखीं थीं ।चलते चलते 8 बज गए ।सारी रात बारिश होती रही थी अतः तापमान कम था लगभग 16 डिग्री C 


आज Mont St. Michel जाना था। यह Normandy Region में है ।पेरिस की उत्तरी पश्चिमी सीमा में समुद्र किनारे एक टापू पर स्थित है ।Bayeux से १-१.५० घण्टे की ड्राइव थी ।रास्ता बहुत सुन्दर -पहाड़ियाँ ,विंड्मिल्ज़ ,घाटियों, हरे-भरे पेड़ों से घिरी सड़कों से गुज़रता हुआ ।यहाँ की जनसंख्या केवल ५० है ।UNESCO द्वारा घोषित वर्ल्ड हेरिटिज स्थान है ,तीर्थयात्रा का केंद्र ।लगभग ३० लाख लोग हर वर्ष यहाँ आते हैं ।फ़्रान्स और ब्रिटेन के युद्ध के दौरान एक मज़बूत क़िला ।गाड़ी पार्किंग में लगा कर चल पड़े ।एक -डेढ किलोमीटर चलने के पश्चात् शटल मिली वह भी लम्बी क़तार में लगने के बाद ।पैदल भी चल कर जा सकते हैं लगभग ५-६किलोमीटर ऊबड़-खाबड़ रास्ते से होकर ।शटल ने पुल से पहले उतार दिया २५००फ़ीट लम्बा पुल है।समुद्र का जल उतार पर था हमें पहुँचने में देर हो गई थी अतः हम उस सुन्दर दृश्य से वंचित हो गए थे जब समुद्री लहरों में उफान

यात्राएँ अद्भुत होती हैं।हर यात्रा एक नया अनुभव ,कुछ रोचक घटनाएँ ,कुछ मीठी यादें छोड़ जाती हैं ।बात अगस्त २०१९ के प्रथम सप्ताह के रविवार की है ।नीति ( बड़ी बेटी जो अमेरिका में रहती है ) शाम को इधर-उधर की बातों के पश्चात् कहने लगी-मॉम कल भी आपको कहा था कि हमारे साथ एक सप्ताह के लिए फ़्रान्स चलो ,आपको बस वीज़ाऔर टिकिट बुक करानी हैं शेष बुकिंग हमने करा ली हैं।बहुत ना-नुकर की मेरी कुछ नहीं चली और हारकर हथियार डाल दिए ।अगले सप्ताह Schengen वीज़ा की प्राप्ति में लगा ,AirFrance से टिकिट ख़रीदीं ,बैंक से euro लिए और कुछ ज़रूरी ख़रीदादारी की।यह यूरोप के १५ देशों में वैध tourist वीज़ा है। शुक्रवार रात की फ़्लाइट में बैठ कर राहत की साँस ली ।नींद आ रही थी और साथ की सीट ख़ाली थी तो कुछ आराम से शरीर को फैला सकी ।फ़्रान्स के समयानुसार सुबह के ६ बजे पेरिस के CDG हवाई अड्डे पर पहुँच गई (भारत और फ़्रान्स के समय में साढ़े तीन घंटे का अन्तर है ) ।अमेरिका से फ़्लाइट दो घंटे के बाद आनी थी ।अतः सामान लेकर निर्देशों का पालन करती हुई रोहित द्वारा निर्धारित स्थान पर पहुँच गई भूख लग रही थी पर जहाँ नज़र जाती सब फ़्रेंच में लिखा था ऐसे में goggle से सहायता ली और एक रेस्तराँ में मुझ शाकाहारी को कुछ खाने को मिल गया ।

थकान लग रही थी यूँ फ़ोन से बात हो गई थी कि वे लोग पहुँच रहें हैं अतः नज़र उस रास्ते पर टिकी थी जहाँ से बच्चों ने आना था ।Saanvi भागती हुई आ कर गले लग गई ।मिलन के क्षण…

एक शनिवार शाम को हम सब एटलांटिक सिटी गए ।यह साउथ न्यूजर्सी मॅ ‘Atlantic Occean

पर बना एक लुभावना छोटा सा शहर है जहां कैसीनो की भरमार है।वीकएंड होने के कारण रास्ते भर बहुत भीड थी ।एडीसन से दो घंटे की यात्रा के बाद शाम को सात बजे के करीब हम “रिवेल रिर्सोट” मॅ पहुंचे ।चौदह मंजिले इस रिर्सोट मॅ हर मंजिल की अपनी पार्किंग है ।अन्दर अनेक रेस्टोरॅट, केसीनो ,रहने के कमरे तथा अन्य मनोरंजन के साधन हैं । काफी पीने के बाद बाहर निकले । समुद्र के किनारे तीन किलोमीटर की ‘बोर्डवाक ‘ करनी प्रारम्भ की ।सूर्यास्त हो रहा था ,समुद्र की उत्ताल तरंगे रंगमयी हो कर नाच रहीं थीं ।धीमी गति से बहती हवा और दूर से आती संगीत की मधुर लहरियां ने वातावरण को और मादक बना दिया था ।दूसरी और अनेक ‘केसीनो’ थे–ताजमहल ,बाली आदि ।दूर ‘पराडो’ की नियोन बत्तियां झिलमिला रहीं थीं ।सब कुछ बडा मनमोहक था।

आगे बढने पर दायीं और छोटी-छोटी दुकानॅ शुरु हो गई थीं जिनमॅ हर प्रकार की वस्तुऍ उपलब्ध थीं ।अनेक भारतीय इन दुकानॉ के मालिक हैं ।यहां कोई  जादू के खेलॉ का आनन्द उठा रहा था तो  कोई टेटू   बनवा रहा था,कहीं हस्तरेखाऍ देखी जा रहीं थीं तो कहीं टैरेटकार्ड रीडिंग होरही थी…

पिछले रविवार बुशकिल फाल्स जाने का कार्यक्रम बना ।यह पॅसिलवेनिया के मनोरम स्थानॉ मॅ से एक है ,घने देवदार के पेडॉ से घिरे पोकोनो पहाडॉ के मध्य आठ झरने हैं ।एडीसन से दो घंटे की ड्राइव पर ‘पोकोनो मांउटेन’ मॅ स्थित है।गर्मी थी इसलिए सुबह जल्दी ही निकल गए ।पिकनिक के लिए सॅडविच,कोल्ड ड्रिन्क ,ठंडा पानी ,खाना ,फल ,बिस्कुट नमकीन ,चिप्स आदि रख लिए थे । न्यू जर्सी पार कर  जैसै ही पेन्सिनवेलिया मॅ प्रवेश किया  दोनो तरफ पहाडियां शुरू हो गई ।सॅडविच खाते, गाने सुनते ग्यारह बजे हम बुशकिल फाल्स पहुंच गए ।भाई के बेटे अमित का भी परिवार के साथ आने का कार्यक्रम था जो किसी कारण से रद्द हो गया था ।गाडी पार्क कर टिकट ली  जो प्रति व्यक्ति गयारह डालर थी ।

चारॉ और घना जंगल है। अनेक प्रकार के जंगली जानवर यहां पाए जाते हैं जिनमॅ प्रमुख -भालू, लोमडी ,खरगोश ,गिलहरी आदि हैं ।सर्वप्रथम म्यूजियम देखा जहां इन सब जानवरॉ को दिखाया गया था ।इसके बाद झरने की और जाने का रास्ता था ।चार रास्ते थे जो विभिन्न रंगॉ से अंकित थे–

हरा-जो मुख्य झरने तक १५ मिनट मॅ पहुंचा देता है पर इस पर समतल स्थान नहीं है सब सीढियां ही हैं ।

पीला-जो मुख्य झरने तक ४५ मिनट मॅ पहुंचाता है रास्ते मॅ अत्यंत सुन्दर दृश्य हैं ।

नीला–जो मुख्य झरने…