Canoeing/ नाव की सैर

गढ मुत्तेशवर मॅ गंगा किनारे नवम्बर के कार्त्तिक माह मॅ लगने वाले मेले मॅ बचपन मॅ हर वर्ष जाते थे ।सबसे बडा आकर्षण होता था चांदनी  रात मॅ नाव की सैर करना ।जब-जब सुमित्रानन्दन पंत की कविता नौका-विहार पढती या पढाती हूं तो मन झट से  बचपन मॅ पहुंच जाता है ।लहरॉ पर झूमती नावॅ,चारॉ और छिटकी चांदनी ,मीठे स्वरॉ मॅ गूंजते गीत ,नाविक के पतवार खेने की आवाज सब अलौकिकता का समां बांध देता था ।आज जब princton मॅ  Canoeing के लिए जाने का कार्यक्रम बना तो तन-मन कुछ उलझन मॅ था क्या है यह नाव की सैर या कुछ और क्यॉकि यह मेरा पहला अनुभव होगा ।

खैर गंतव्य स्थान पर पहुंचे ।मौसम अच्छा था ।$25 प्रति घंटा के हिसाब से एकCanoe किराए पर ली ,लाइफ बेल्ट पहनी और तीन पतवार लिए ।पानी 10 फीट गहरा था ।इसलिए अगर कोई दुर्घटना हो जाए तो उसके लिए हम ही जिम्मेवार थे इस प्रकार के एक पेपर पर साइन कर के हमने दिए ।इसमॅ चार लोग बैठ सकते हैं अगले कोने मॅ मैं पतवार संभाल कर बैठी और पिछले कोने पर रोहित बीच मॅ नीति ।असली काम पिछले कोने वाले का हीथा ।मैंने तो पतवार पहली बार ही ली थी ।बीच -बीच मॅ नीति चलाती रही ।सान्वी को बडा मजा आरहा था ।उसको भी एक बार चलाने को दिया । याद आ रही बहुत पहले की एक शाम -इंडिया गेट पर घूमने गए तो बोटिंग क्लब पर हमने (मैं,मेरे पति और बच्चे ) एक बोट किराए पर ली एक घंटे के लिए ।सब नौसखिया थे। पूरा घंटा एक ही स्थान पर गोल घूमते रहे ,नाव जरा सी भी आगे नहीं बढी ।समय पूरा हो गया और हम उतर गए।यहां पानी समतल है बीच- बीच मॅ अन्य केनोई भी आ-जा रहीं हैं ।लोग मुस्कराते हुए हैलो-हाय करते चलते जा रहे हैं ।लगभग दो घंटे तक घूमने के बाद हम लौट आए ।कैनोई और नाव की आपस मॅ कोई तुलना  नहीं दोनॉ का अपना ही आनन्द है ।

Dr. Kiran Nanda

Dr. Kiran Nanda

Dr. Kiran Nanda did her graduation and post-graduation from Delhi university. She did her Ph.d. on 'sant kavya mai vidroh ka swar' from Delhi university. She has authored a number of books and published many travelogues.

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