बचपन के दिन भी क्या दिन थे -खेल-कूद ,मस्ती से भरपूर सच में –
बार-बार आती है मुझको मधुर याद बचपन तेरी
गया ले गया तू जीवन की सबसे मस्त खुशी मेरी ( सुभद्रा कुमारी चोहान )
बहुत दिनों के बाद आज सुबह- सुबह घर के बाहर सैर कर रही थी |जबसे लॉक डाउन हुआ है घर की चारदीवारी के भीतर ही सैर हो रही है |घर के सामने पार्क है पर नगर निगम की बेरुखी के कारण खस्ता हालत में है |अन्य पेड़ों के बीच में अमलतास के चार पाँच पेड़ हैं जो पीले फूलों से लदे अपनी भीनी भीनी सुगंध हवा में फैला रहे थे |इन्ही के मध्य एक आम का वृक्ष है पास जाकर देखने पर पाया कि इस बार उस पर फल लगे हैं |मेरे चेहरे पर मुस्कान खिल उठी |हरे- हरे आम लटक रहे थे और बच्चों के बाहर न खेलने के कारण बचे हुए थे |कितनी मीठी यादें याद आई |
बचपन का एक बड़ा भाग उत्तरी उत्तर प्रदेश में बीता है |पिताजी शुगर फैक्ट्री में जनरल मैनेजर थे तो बिजनोर ,मुरादाबाद ,रामपुर, हल्द्वानी (अब उत्तराखंड )इन्ही क्षेत्रों में रहे |यह सभी क्षेत्र आम के बागों से भरपूर हैं |बसंत ऋतु के आगमन के साथ आम्रवृक्ष मंजरियों से लद जाते थे ,कोयल कुहुकने लगती और प्रतीक्षा शुरू हो जाती थी कि कब पेड़ पर फल आयेंगे |बात याद आती है अमरोहा की |स्कूल में बहुत से आम के पेड़ थे ,घर से माँ से छिपा कर नमक -मिर्च की पुड़िया बनाकर बस्ते में रख लेते थे और intervl में कच्चे आम खोज कर चटकारे लेकर खाया जाता था |कई बार इसीलिए कान पकड़ कर कक्षा के बाहर खड़े रहने की सजा भी मिली | घर के सामने दो आम के पेड़ थे उन पर छोटे -छोटे आम लगते थे पर बहुत मीठे |एक दिन दोपहर का समय था सब खाना खा कर आराम कर रहे थे |हम सात भाई बहन हैं |उस समय तक तीन बड़े भाई बहन की शादी हो चुकी थी ,मैं सबसे छोटो हूँ | मैं और मुझसे दो वर्ष बड़ा भाई माँ से आँख बचा कर बाहर खिसक आए |आंधी खूब तेज थी पर लालच था कि मीठे आम टपकेंगे |बहुत से आम खाए कुछ फ्राक की झोली में भरे |इतनी देर में छोटू (नौकर )भागता हुआ बुलाने आया |माँ गुस्से में भरी बैठी थी |दोनों भाई-बहन की जमकर पिटाई हुई |माँ सही थी पिटाई शरारत और चिंता के कारण हुई |आंधी में पेड़ गिर जाते हैं यह शायद तब समझ नहीं आता था |पिटाई का लाभ यह हुआ कि रोज सुबह अपने पिताजी के साथ झोला लेकर बाग में जाकर आम तुड़वा कर लाने लगे |कोविद-19 के चलते आजकल सब्जी फल सभी कुछ पानी में डाल कर रखते हैं फिर प्रयोग में लाते हैं | हम बाग से आम लाकर बाल्टी में घंटों भिगो कर रखते थे जिससे कितने भी खा लो शरीर में गर्मी नहीं पहुँचाते हैं (आयुर्वेद के अनुसार ) |
मेरी मित्र रश्मि के पिताजी का शहर से बाहर एक आम का बाग था जिसमें स्विमिंग पूल भी था |अधिकांश पेड़ लंगड़ा और दशहरी आम के थे |ये आम जून के अंत में आते हैं और मानसून भी तब तक आ जाता है रश्मि की बड़ी बहने मेरी बड़ी बहनों की मित्र थीं तो किसी एक सुहावने दिन जीप में भर कर सब लडकियाँ वह उधम मचाने पहुँच जाते दिन भर आम तोड़ना फिर पानी में ठंडे करना नहाना खाना |थक कर शाम को लौट आना |बहुत आनंद आता था |कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन !!