फ़्रांस यात्रा कुछ यादें – 5

सुबह हम जल्दी उठ गए थे। चाय पीकर रोहित अपने काम में लग गए और मैं और नीति नाश्ते के लिए कुछ सामान लेने चले। शहर अभी सो रहा था। सड़क पर गिने चुने लोग ही दिखाई दे रहे थे। एक जैसी इमारतें बहुत ऊंची नहीं कि सिर उठा कर देखना पड़े, हर बालकनी में मुस्कराते फूलों की टोकरियाँ। एक किलोमीटर चलने के बाद दो तीन ब्रेड की दुकानें दिख पड़ी। ताजी बनी ब्रेड की सुगंध वातावरण में फैली हुई थी। ब्रेड, बटर, macroon और croissant लिए और लौट आए। नाश्ता कर तैयार हो बस लेने के लिए निकल पड़े। साढ़े नौ बजे पहुँचना था। बस में कुछ पर्यटक बैठे थे हमने कुछ आस-पास की तस्वीरें ली। गर्मी नहीं थी अतः ऊपर जा कर बैठे जिससे बाहर के दृश्य का आनन्द उठा सकें। बातें करते, गाइड को सुनते, इधर-उधर देखते कब हमारा स्टॉप आ गया पता ही नहीं चला। नीचे उतर कर जीपीएस से आगे जाने का मार्ग देखा और चले।

मुख्य सड़क को पार कर एक छोटे मार्ग से हम आगे बढ़े। SACRE COEUR रोमन कैथोलिक चर्च ही नहीं वरन पेरिस शहर का दूसरा सबसे ऊंचा स्थान और मुख्य आकर्षण केंद्र है। यहाँ हर वर्ष 10 मिलियन तीर्थयात्री और पर्यटक आते हैं। यह Montmartre पहाड़ी पर 130 मीटर ऊंचाई पर स्थित हैSACRE COEUR इस फ्रेंच शब्द का अंग्रेजी में अनुवाद sacred heart है। राजनैतिक, सांस्कृतिक स्मारक भी है जो मध्यकाल और फ्रांसीसी क्रांति से भी जुड़ा हुआ है। अब दोनों और दुकानें शुरू हो गई थी जिनमें स्मृति चिन्ह और उपहार में देने के लिए वस्तुओं की भरमार थी। अधिकतर दुकानदार मध्य एशियाई देशों से थे पर रोजमर्रा की फ्रेंच और अंग्रेजी भाषा बोलने में सक्षम। दिल्ली के जनपथ और सरोजिनी नगर के बाजारों की याद आ रही थी। अब सामने चर्च दिखाई दे रहा था – एक सफेद पत्थर का चमकता हुआ जिसके रंग में कोई परिवर्तन नहीं हुआ बारिश में नहा कर साफ हो जाता है। नीचे सुंदर बगीचा था। ऊपर जाने के दो मार्ग थे – 270 सीढ़ियाँ या लिफ्ट। हम लिफ्ट से चले लाइन थी पर आधे घंटे में नंबर आ ही गया।

सामने एक बहुत बड़ा घंटा लगा था -19 टन का। मान्यता है बजाओ और जो मांगों वह मिलेगा जिंदगी में। चर्च अंदर से घूम कर जब सबसे ऊपर पहुंचे तो हम 220 मीटर की ऊंचाई पर थे क्योंकि गुंबद की ऊंचाई ही 90 मीटर है। अद्भुत दृश्य था। पूरा पेरिस शहर दिखाई दे रहा था। चारों तरफ फैली इमारतों के मध्य Eiffel tower जैसे कोई लोह नारी अंगड़ाई ले रही हो। फोटो खींची और फिर लिफ्ट से नीचे उतर आए। नीचे बाजार से छुटपुट खरीददारी की। भूख लग आई थी। आज Le Marais जाना था फलाफल खाने के लिए। यह पेरिस का एक ऐतिहासिक अभिजात्य हिस्सा है जहां jews अधिक रहते है। यहाँ से बस लेकर जिस स्थान पर उतरे वहाँ से आधा किलोमीटर की दूरी पर यह स्थान था। सुंदर साफ सुथरा एरिया दुकानें भी चाहे बेकरी की थी या अन्य सामान की इजरायली दीख रहे थे। हम L’As faliafal restaurant में गए। छोटा सा restaurant मेजें साथ-साथ जुड़ी हुई पर स्वच्छता का पूरा ध्यान वेटर ने बैठाया और ऑर्डर लिया शाकाहारी और निरामिष फलाफल के साथ में पीने के लिए ठंडा पेय। मेज पर खाना जैसे ही आया सब टूट पड़े भूख जोरों पर थी। गरमागरम फलाफल पीटा ब्रेड (इसमें भर कर खाया जाता है) फ्रेंच फ्राइस सलाद हुममस (एक प्रकार की चटनी ) और lemonade । बिल दे कर स्वादिष्ट भोजन के लिए मालिक को धन्यवाद देकर निकले तो थकान इतनी थी कि बस से जाने की हिम्मत नहीं थी और शाम को फिर जाना था अतः uber बुक की और आवास पर लौट आए।

शाम को फिर चले। आराम कर तरोताजा हो गए थे। मन में विश्व के एक अद्भुत स्थान को देखने की अपार उत्सुकता। Champ de Mars में स्थित Eiffel Tower इंजीनियर Gustave Eiffle द्वारा निर्मित है जिसको बनाने में 2 साल 2 महीने 5 दिन लगे। यह नीचे से ऊपर तक 324 मीटर लंबा है लाल रंग में रंग जिससे से जंग ना लगे। पार्क में बहुत भीड़ थी। एक exhibition लगी थी समय था इसलिए वही देखी। अब चले लाइन में लगने को। 8 बजे थे हमें 9 बजे लाइन में लगना था सो वहीं खाना खाया। crapes और सलाद रोमांचक था आप विश्व के सात आश्चर्य जनक स्थानों में से एक के नीचे बैठ कर खाना खा रहे हो। सुरक्षा कारणों से चेकिंग हुई और फिर आया ऊपर जाने का नंबर। लिफ्ट से ऊपर जाएँ या सीढ़ियों से। तीसरे तल तक पूरा देखने में 2 घंटे लग जाते हैं (इसमें लाइन का समय भी सम्मिलित है)। लिफ्ट ने पहली मंजिल पर उतारा। रोमांचक दृश्य जिसे शब्दों में वर्णित करना कठिन है। दूर तक जगमगाता पेरिस। इसे symbol of love भी कहते हैं। तभी जगमग हो गई |सर्यास्त से लेकर रात दो बजे तक हर एक घंटे के बाद 5 मिनट के लिए पूरा tower जगमग हो उठता है। लाल, नीला और सफेद फ़्रांस के राष्ट्रीय ध्वज के रंगों में। दूसरी मंजिल पर लिफ्ट से गए और देखा। तीसरे तल पर जाने की मेरी हिम्मत जवाब दे गई और मैं नहीं गई। लौट आए मन में एक अनोखी अनुभूति को लिए। किचन की खिड़की से जगमगाता Eiffle Tower दिख रहा था मैं बहुत देर तक पानी का गिलास हाथ में लिए मंत्रमुग्ध हो निहारती रही।

Dr. Kiran Nanda

Dr. Kiran Nanda

Dr. Kiran Nanda did her graduation and post-graduation from Delhi university. She did her Ph.d. on 'sant kavya mai vidroh ka swar' from Delhi university. She has authored a number of books and published many travelogues.

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