फ़्रान्स यात्रा कुछ यादें -२

आधी रात को कुछ खटपट सुनाई पड़ी देखा तो Saanvi लाइट जला कर कुछ पढ़ रही है ।समय के अंतराल के कारण उसे नींद नहीं आ रही थी और फिर नानी के खर्राटे तंग कर रहे थे ।सुबह सब देर से उठे तो प्रोग्राम कुछ बदल गया ।चाय का दौर चला गपशप हुई और सब तैयार होने लगे ।रोहित ने नाश्ते के लिए शाम को ही ब्रेड और croissants (एक प्रकार की नमकीन मीठी कई लेअर वाली फ़्रेंच पेस्ट्री ) ला रखीं थीं ।चलते चलते 8 बज गए ।सारी रात बारिश होती रही थी अतः तापमान कम था लगभग 16 डिग्री C 


आज Mont St. Michel जाना था। यह Normandy Region में है ।पेरिस की उत्तरी पश्चिमी सीमा में समुद्र किनारे एक टापू पर स्थित है ।Bayeux से १-१.५० घण्टे की ड्राइव थी ।रास्ता बहुत सुन्दर -पहाड़ियाँ ,विंड्मिल्ज़ ,घाटियों, हरे-भरे पेड़ों से घिरी सड़कों से गुज़रता हुआ ।यहाँ की जनसंख्या केवल ५० है ।UNESCO द्वारा घोषित वर्ल्ड हेरिटिज स्थान है ,तीर्थयात्रा का केंद्र ।लगभग ३० लाख लोग हर वर्ष यहाँ आते हैं ।फ़्रान्स और ब्रिटेन के युद्ध के दौरान एक मज़बूत क़िला ।गाड़ी पार्किंग में लगा कर चल पड़े ।एक -डेढ किलोमीटर चलने के पश्चात् शटल मिली वह भी लम्बी क़तार में लगने के बाद ।पैदल भी चल कर जा सकते हैं लगभग ५-६किलोमीटर ऊबड़-खाबड़ रास्ते से होकर ।शटल ने पुल से पहले उतार दिया २५००फ़ीट लम्बा पुल है।समुद्र का जल उतार पर था हमें पहुँचने में देर हो गई थी अतः हम उस सुन्दर दृश्य से वंचित हो गए थे जब समुद्री लहरों में उफान आता है तो पुल भी डूब जाता है और यह एक क़िले की भाँति हो जाता है ।कुछ फ़ोटो खींचे और आगे चल पड़े ।अंदर जाकर टिकिट ली ।चार पाँच रास्ते थे हम सीढ़ी से न जाकर रैम्प से गये ।कुछ खाने पीने का सामान बैग में था ।कहीं सीढ़ियाँ कहीं रैम्प कहीं समतल ।बहुत ऊँची इमारत सबसे ऊपरी मंज़िल पर ईश्वर .फिर Abbey,फिर monastery और बड़े हाल ,फिर स्टोर और बाहर मछुआरों और किसानो के घर ।पर्यटकों की भीड़ थी ।ऊपर से नीचे सब देखते हुए उतरते आए ,अनेको वर्ष पुरानी यादें जो दीवारों पर खचित थीं गाइड बताता चल रहा था और हम मुग्ध भाव से उसके पीछे पीछे मध्य के सुन्दर बाग़ीचों को निहारते नीचे पहुँच गये ।दोनो तरफ़ बाज़ार था सजी हुई दुकाने जैसी विश्व के हर पर्यटक स्थल पर होतीं हैं -माला ,बुनदे ,खाने -पीने की ।भीड़ होने पर भी धक्का -मुक्की नहीं थी सब आराम से उतर रहे थे ।हम भी खाते -पीते फ़ोटो खींचते पुल पर पहुँच गये और बस में बैठ गये ।दोपहर हो गई थी अधिकतर लोग वापस जा रहे थे ।धूप तेज़ थी पर सुखद लग रही थी ।


रास्ते में लंच के लिए रुके ।फिर समस्या । आख़िर लेंटिल सूप और ब्रेड का ऑर्डर दिया ।बच्चों ने सीफ़ूड और चिकेन का ।खाना आया-सूप मूँग दाल के पानी जैसा पर सलाद और ब्रेड स्वादिष्ट थे फ़्रेंच फ़्राइज़ भी थे अतः Saanvi की प्लेट से खिसकाने नहीं पड़े ।हँसते बातें करते रास्ते का आनन्द लेते लौट आए ।कुछ देर विश्राम किया और फिर Bayeux घूमने चले ।यह Aure नदी के किनारे बसा है ।आबादी अधिक नहीं है।टैपस्ट्री के लिए प्रसिद्द्ध है ।मध्यक़ालीन क़सीदाकारी के सुन्दर नमूने सभी स्मृति चिन्हों पर भी दिखाई देते हैं ।मुख्य रूप से १०६६ में England पर Norman की विजय को चित्रित किया गया है ।Notre dam चर्च देख चुके थे ।एक वार मेमोरीयल व म्यूज़ीयम भी देख थक कर लौट आए ।चाय पीकर वेज बिरयानी बनाई और पेट भर कर दही के साथ सबने खाई ।सुबह अगले पड़ाव के लिए निकलना था अतः फ़्लैट को भी साफ़ किया जिससे मालिक को कोई शिकायत न हो ।

Dr. Kiran Nanda

Dr. Kiran Nanda

Dr. Kiran Nanda did her graduation and post-graduation from Delhi university. She did her Ph.d. on 'sant kavya mai vidroh ka swar' from Delhi university. She has authored a number of books and published many travelogues.

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