सुबह -सुबह सब नाश्ता कर ७ बजे पेरिस के लिए निकलने के लिए तैयार थे ।अपार्टमेंट बन्द कर चाबी यथास्थान रख दी ।मौसम सुहावना था ।योरप में गर्मी का समय है पर हमारे अक्टूबर माह की भाँति सुबह -शाम सुहावनी और दोपहर तेज़ गर्म चुभने वाली धूप ।पेरिस जाते हुए हमें Versailles palace देखते हुए जाना था ।यह पेरिस के दक्षिण-पश्चिम में १६ किलोमीटर की दूरी पर राजमार्ग पर है । 1682-1789 ( फ़्रांसीसी क्रांति प्रारम्भ होने तक)यह फ़्रान्स के राजाओं का वैभवशाली राजमहल रहा है ।Louis 14 ने इसका निर्माण किया था ।जब किसी वैभवशाली राजमहल को किसी ग्रामीण परिवेश में निर्मित किया जाता था तो फ़्रेंच भाषा में उसके लिए ‘Chateau‘ शब्द का प्रयोग करते थे ।आज स्थिति परिवर्तित है Versailles गाँव नहीं सुन्दर नगर है ।आठ -सवा आठ के क़रीब हम पहुँच गए ।
धूप तेज़ हो रही थी लाइन लम्बी थी पर मन में देखने की इच्छा भी थी ।टिकिट ले क़तार में लग गये ।तीन बजे तक पेरिस भी पहुँचना था तो विचारा कि कुछ दर्शनीय स्थल देख कर निकल लेंगे ।यह राजमहल प्रतीक है उस काल की यूरोपीय राजसी मानसिकता का कि राजा का प्रभुत्व सर्वोच्च है -मानवता और प्रकृति दोनो पर ।2300कमरों के महल के ८७ गज़ के प्रवेश द्वार पर १००,००० सोने की पत्तियाँ मढ़ी हैं । इस महल में राजसी कक्ष ,कार्यालय ,सलून ,हज़ारों कर्मचारियों के घर ,फ़्रान्स के इतिहास का म्यूज़ीयम ,हॉल ऑफ़ मिरर्ज़ के चमकीले भड़कीले बहुमूल्य झाड़-फ़ानूस और बगीचों के फ़व्वारों को देख कर बाहर आ गये ।एक बज गया था थकान और भूख से सब बेहाल थे ।सुरक्षा कारणो के कारण केवल पानी ही लेकर अन्दर जाने की अनुमति थी । पास में ही कुछ खाने पीने के छोटे छोटे रेस्टौरेंट दीख रहे थे उधर ही चल पड़े ।आज पिज़्ज़ा खाया गया स्वादिष्ट था और ठंडा पेय लेकर सब संतुष्ट हो चल पड़े अगले पड़ाव की आेर ।कुछ सोते हुए से ।पेरिस में प्रवेश कर चुके थे ।अचानक रोहित ने गाड़ी रोक दी और देखा कि कितने ही भारतीय महिला-पुरुष ( कुछ स्त्रियों ने साड़ियाँ और सूट पहने हुए थे )सड़क पार कर दूसरी तरफ़ एक हॉल की आेर जा रहे थे ।नज़र बैनर पर गई -फ़्रेंच English और हिंदी में लिखा था “ welcome Mr Narender Modi “ फ़ोन की घंटी बजी स्वाति का फ़ोन था भारत से ‘ मॉम मोदी जी को मिलने जा रही हैं? सबने बात की हाल-चाल जाने ।अब GPS और goggle के सहारे भाषा और रास्ते को समझते हम अपनी मंज़िल पर पहुँच गये ।
एक बहुत बड़ी बहुमंज़िला इमारत के बाहर गाड़ी रोकी ।एक महिला अपनी गाड़ी में हमारी प्रतीक्षा कर रही थी ।टूटी फूटी अंग्रेज़ी में उसने कुछ समझाया चाबी दी और चली गयी ।रिमोट जैसी चाबी से खुल जा सिमसिम करते शीशों के दरवाज़ों को पार कर लिफ़्ट के पास पहुँचे और दूसरी मंज़िल पर अपने अस्थायी आवास पर ।अच्छा खुला स्थान ख़ूब बड़ा लिविंग रूम बेड रूम्स सभी सुविधाओं से परिपूर्ण ।सामान रख कर चाय पी
airport से फ़ोन हुआ तो पता चला कि शाम आठ बजे आपको सामान पहुँचा देंगे ।
किसी शहर को जानना हो तो पैदल या सार्वजनिक सवारी सेघूमना चाहिए ।यों भी विदेशों में पार्किंग बहुत महँगी है ।गाड़ी शाम को वापस करनी थी ।अतः घूमने चले ।नीति ने कहा कि Champ Élysées चलेंगे ।यह पेरिस का बहुत महँगा बाज़ार है ।चौडी सड़क के दोनो आेर बहुत खुले स्थान और फिर बड़ी बड़ी दुकाने ।शाम हो चली थी भीड़ काफ़ी थी बीच सड़क पर यातायात की आवाजाही थी पर कहीं कोई वाहन रुका नहीं था नियम तोड़ने वालों को पुलिस रोक रही थी । Laudree macaroon pastry बहुत प्रसिध दुकान है ।लम्बी लाइन थी सभी विभिनन प्रकार की pastries ले रहे थे ।ऐसा लग रहा था हल्दीराम के यहाँ मिठाई लेने आए हैं । कई लोग macaroons और पेस्ट्री के ढेरों डिब्बे पैक करा रहे थे ।हमने भी अपनी पसंद का लिया व बाहर आ गये ।घूम फिर कर लौट आए ।