फ़्रान्स यात्रा कुछ यादें-१

यात्राएँ अद्भुत होती हैं।हर यात्रा एक नया अनुभव ,कुछ रोचक घटनाएँ ,कुछ मीठी यादें छोड़ जाती हैं ।बात अगस्त २०१९ के प्रथम सप्ताह के रविवार की है ।नीति ( बड़ी बेटी जो अमेरिका में रहती है ) शाम को इधर-उधर की बातों के पश्चात् कहने लगी-मॉम कल भी आपको कहा था कि हमारे साथ एक सप्ताह के लिए फ़्रान्स चलो ,आपको बस वीज़ाऔर टिकिट बुक करानी हैं शेष बुकिंग हमने करा ली हैं।बहुत ना-नुकर की मेरी कुछ नहीं चली और हारकर हथियार डाल दिए ।अगले सप्ताह Schengen वीज़ा की प्राप्ति में लगा ,AirFrance से टिकिट ख़रीदीं ,बैंक से euro लिए और कुछ ज़रूरी ख़रीदादारी की।यह यूरोप के १५ देशों में वैध tourist वीज़ा है। शुक्रवार रात की फ़्लाइट में बैठ कर राहत की साँस ली ।नींद आ रही थी और साथ की सीट ख़ाली थी तो कुछ आराम से शरीर को फैला सकी ।फ़्रान्स के समयानुसार सुबह के ६ बजे पेरिस के CDG हवाई अड्डे पर पहुँच गई (भारत और फ़्रान्स के समय में साढ़े तीन घंटे का अन्तर है ) ।अमेरिका से फ़्लाइट दो घंटे के बाद आनी थी ।अतः सामान लेकर निर्देशों का पालन करती हुई रोहित द्वारा निर्धारित स्थान पर पहुँच गई भूख लग रही थी पर जहाँ नज़र जाती सब फ़्रेंच में लिखा था ऐसे में goggle से सहायता ली और एक रेस्तराँ में मुझ शाकाहारी को कुछ खाने को मिल गया ।

थकान लग रही थी यूँ फ़ोन से बात हो गई थी कि वे लोग पहुँच रहें हैं अतः नज़र उस रास्ते पर टिकी थी जहाँ से बच्चों ने आना था ।Saanvi भागती हुई आ कर गले लग गई ।मिलन के क्षण अद्भुत होते हैं आँख में आँसू चेहरे पर मुस्कान ।गाड़ी बुक कर रखी थी ।तकनीक ने जीवन को सरल बना दिया है सब कुछ ऑनलाइन ।पहले Aeroville mall गये कुछ आवश्यक सामान की ख़रीददारी करनी थी क्योंकि बच्चों का सामान फ़्लाइट से नहीं आया था अगले दिन शाम की फ़्लाइट से आना था ।जय हो GPS और goggle की जिसके कारण रास्ते आसान और भाषा समझने में सरलता हो रही थी ।बहुत बड़ा विशाल मॉल सुसज्जित स्टोर सभी ब्रैंड्ज़ ।आवश्यक ख़रीददारी की ।भूख लग आई थी ।foodcourt में Combagnie &crepes में खाने का ऑर्डर किया ।crapes एक प्रकार का पतला pancake नमकीन , मीठा ,सादा भरा हुआ (भारतीय चीला या दाेसे की तरह का ) होता है जिसमें स्वादानुसार चाकलेट , न्यूट्रला ,सब्ज़ियाँ ,अंडा ,चिकन ,hem आदि भरा जाता है साथ में ताज़ा सलाद और लेमनेड था ।सभी ने स्वाद से खाया ।

फिर चल पड़े प्रथम गंतव्य GIVERNY की आेर ।यह पेरिस से ७० किलोमीटर उत्तर -पश्चिम में स्थित है ।चित्रकार Claude Monet की पेंटिंग्स में चित्रित भव्य प्रकृति को यहाँ देख सकते हैं ।सुन्दर भव्य गाँव दर्शनीय है ।Vernoहोते हुए गए ।यह एक छोटा सा क़स्बा है ।एक म्यूज़ियम है जिसमें चित्रकार के प्रसिध चित्रहैं । पर्यटकों की भीड़ थी टिकिट बुक थी अतः अंदर जाने में समय नहीं लगा ।चारों आेर पहाड़ियां जंगली फूलों की महक फ़व्वारे फलों बेलों हरे-भरे वृक्षों से घिरे बाग़ीचों को देखने और कुछ फ़ोटो खींचने के बाद चल पड़े Bayeux की आेर क्योंकि पाँच बजे से पहले वहाँ पहुँचना था ।saanvi लगातार दिल्ली से मेरे द्वारा लाई मट्ठी खा रही थी ।
Bayeux सुन्दर छोटा सा शहर सड़कें साफ़ सुथरी हरी -भरी पहाड़ियाँ ,तीव्रता से भागती गाड़ियाँ ।सामने पहाड़ी पर एक साथ कई विंडमिल चलती दिखीं ।अद्भुत दृश्य बादल आ जा रहे थे वातावरण में कुछ ठंडक थी ।साढ़े चार बजे के क़रीब गंतव्य पर पहुँच गए ।प्राचीन नॉर्मेन रोमन शैली में निर्मित चर्च के एकदम सामने ही अपार्टमेंट था नीचे मालिक की फ़्रान्स के स्मृति चिन्हों की दुकान थी ।गोल घुमावदार सीड़ियों को चढ़ कर ऊपर पहुँचे ।सुन्दर सभी सुविधाओं से सुसज्जित अपार्टमेंट ,wi fi ,किचन में भी सभी उपकरण ।खिड़की खोलते हीठंडी हवा के मधुर झोंके भीतर आकर जैसै शरीर को सहला कर थकान दूर करने लगे ।सामने चर्च की बजती घंटियाँ प्रार्थना के स्वर मन को सुकून दे रहे थे ।कुछदेर बिस्तर पर लेट कर कमर सीधी की जबसे भारत से चली थी अवसर ही नहीं मिला था।

तरोताज़ा होकर घूमने चले ।वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण चर्च -लगभग १००० वर्ष पूर्व निर्मित हुआ था। अन्दर -बाहर मुग्ध हो कर घूमते हुए बाहर निकले शाम हो चली थी बत्तियाँ जगमगा रहीं थी ।सडक पर चहल पहल थी ।पैदल ही पास के एक फ़्रेंच रेस्ट्रॉं में खाना खाने गए ।आठ बज रहे थे सूर्य की रोशनी अभी काफ़ी थी ।मौसम अच्छा था अतः बाहर ही टेबल ली ।मुझ जैसे शाकाहारी को समस्या हो रही थी ।maneu में बड़ी कठिनता से ढूँढने पर एक डिश मिल गई जो मैं खा सकती थी ।सभी ने अपनी पसंद का ऑर्डर किया ।वेट्रेस मेज़ पर पापड़ की क़िस्म के कुछ चिप्स ,ब्रेड और टमाटर की चटनी रख गई ।टूटी-फूटी अंग्रेज़ी में वह बात कर रही थी और हम goggle से ढूँढ कुछ फ़्रेंच शब्दों के माध्यम से अपनी बात समझा रहे थे।पर्यटकों से रेस्ट्रॉं भरा हुआ था ऊपर की मंज़िल पर कोई पार्टी चल रही थी संगीत के स्वरों के साथ शोरगुल की ध्वनि भी गूँज रही थी ।ख़ैर खाना आया ।प्लेट देखकर मायूस हो गई – कुछ सलाद के पत्ते , कच्ची सी कटी हुई मशरूम शिमला मिर्च और टमाटर की फाँके ।Saanvi बड़े चाव से चिकन और फ़्रेंच फ़्राईज खा रही थी और मेरा खाना देखकर हँस रही थी नानी यह क्याहै मैंने कहा-घास-फूस ।उसकी प्लेट से कुछ फ़्रेंच फ़्राइज खिसकाए सलाद खाया और निम्बू पानी पीया ,आइसक्रीम और केक बहुत स्वादिष्ट थे । बारिश शुरू हो गई थी अतः वापस आ गये।दस बज रहे थे और सुबह चार बजे उठ कर जाना था शुभ रात्रि

Dr. Kiran Nanda

Dr. Kiran Nanda

Dr. Kiran Nanda did her graduation and post-graduation from Delhi university. She did her Ph.d. on 'sant kavya mai vidroh ka swar' from Delhi university. She has authored a number of books and published many travelogues.

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