ओ घनश्याम ! उमड़ -घुमड़ गरजने वाले बादल न बनो
सबकी विनती है अब कृपा की वर्षा करो प्रभो !
हे दुःखभंजन ! दुःख हरो ,रोग हरो ,संताप हरो , कष्ट हरो प्रभो !
कहते हैं कि दुआ का रंग नहीं होता ,पर दुआ भी कभी-कभी रंग ले आतीहै ।
आइए मिलकर सबके ‘ मंगल भव ‘ के लिए प्रभु से दुआ माँगे
आइए मिलकर सबके ‘ मंगल भव ‘ के लिए प्रभु से दुआ माँगे
हे प्रभो कहतें हैं तुम हो
दया के सागर ,फिर क्यों ख़ाली हमरी गागर
दयालु सब पर दया करो
दयालु सब पर दया करो
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