शुक्रवार दोपहर को नीति का फोन आया ५ बजे तैयार रहना ‘मेटाचन’(न्यू जर्सी का एक नगर) मॅ ग्रीक फेस्टीवल है चलॅगे । हम सब ४५ मिनट की ड्राइव के बाद वहां पहुंचे । ग्रीक चर्च की तरफ से लगे इस फेस्टीवल मॅ ग्रीक संस्कृति की पूरी झलक मिली ।न्यू जर्सी मॅ रहने वाले ग्रीकवासीयॉ ने इसे सफल बनाने मॅ कोई कसर नहीं छोडी थी । टिकट ले कर अन्दर प्रवेश किया ।घुसते ही एक तरफ बच्चॉ के लिए मनोरंजक खेल ,कॅडी,आइसक्रीम ,केक ,पेस्ट्री के स्टाल थे तो दूसरी तरफ ग्रीक की रंग-बिरंगी पोशाकॉ,
पर्स ब्रेसलेट,माला,जूतॉ के स्टाल थे ।आगे बढने पर ‘कुकिंग शो’ चल रहा था,एक ग्रीक ‘chef’ग्रीक व्यंजनॉ को बना रहा था । उसकी रसोई पूरी तरह सजी थी ।’डिश’ बनाने के बाद सुन्दर वेट्रेस ट्रे मॅ रख कर आस-पास कुर्सियॉ पर बैठे लोगॉ को चखा रही थी ।अधिकांश व्यंजनॉ मॅ ’एलकोहल ’का प्रयोग था।
संगीत की मधुर ध्वनि अपनी और बुला रही थी ।मुड कर देखा तो पाया कि सजी-धजी ग्रीक लडकियां किसी ग्रीक लोकगीत पर गोलाकार नृत्य कर रही थी ।नाच की समाप्ति पर सबने तालियां बजा कर उनका प्रोत्साहन किया ।तत्पश्चात उन्हॉने दर्शकॉ को अपने साथ नृत्य करने के लिए आमंत्रित किया ।संगीत की धुन फिर बजने लगी,बच्चे और उनकी माताऍ ताल से ताल मिलाने की ,कदम से कदम मिलाने की कोशिश करने लगे ।नीति और सान्वी भी शामिल हो गये थे ।सान्वी को बहुत मजा आरहा था ।
आगे चले तो एक विशाल ‘फूड्कोर्ट ‘था ,कुर्सी-मेज लगी थीं पंखे चल रहे थे क्यॉकि मौसम कुछ गर्म हो गया था ।हर स्टाल पर पक्तिंयां लगी थी ।अनेक प्रकार के ग्रीक व्यंजन थे । समस्या मेरी थी ,शाकाहारी हूं क्या खाऊं ? अन्ततः एक प्रकार की पालक की पैटी और आलू के फ्राइज मिल ही गए ।सबने स्वाद से अपना अपना भोजन खाया ।एक विशेष प्रकार की पेस्ट्री जो हमारे यहां के ‘सोनहलवा ‘से मिलती-जुलती है ‘बकलावा’बडी रूचि से खाई ,देश को याद किया क्या करूं अपने देश को हर जगह खोज ही लेती हूं ।रात हो चली थी ,नृत्य अभी भी चल रहा था ,भीड बढती चली जा रही थी लोग कहकहे लगा रहे थे अपनॉ से मिल रहे थे ।हम घर को लौट चले अनजान धुन को गुनगुनाते ।