काशी या बनारस

काशी या बनारस एक ही शहर के दो नाम ,ऐसे ही जैसे राम कहो या रहीम कहो मतलब तो एक ईश्वर से ही है। काशी शब्द संस्क्रत के “कश”शब्द से बना है जिसका अर्थ है चमकना और वास्तव मॅ प्राचीन काल से ही धर्म,संस्क्रति और शिक्षा के क्षेत्र में विश्व में प्रसिद्ध रहा है ।शिव की नगरी काशी –ऐसा माना जाता है कि शिव यहां विश्वेश्वर और अविमुक्तेश्वर रुप में विराजमान हैं ।काशी के पास सारनाथ में महात्मा बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश दिया था ।शंकराचार्य,पतंजलि,रामानुजाचार्य ,तुलसीदास,रामानन्द,कबीर जैसे महान धर्म प्रचारक ,सुधारक काशी की देन हैं ।

यॉ तो कबीर ने कहा है–जो कासी तन तजे सरीरा रामहि कहां निहोरा और वे स्वयं मरने से पहले काशी छोड कर चले गये पर मणिकरणिका घाट पर निरन्तर जलती चिताऍ काशीवास शब्द को चरितार्थ करती हैं ।अनेकानेक वर्षॉ तक दूरदराज से लोग अपने जीवन के अतिंम काल में काशी चले आते थे इस सोच के साथ कि यहां मरेंगे तो मोक्ष मिल जायेगा यानि बार-बार के जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति ।कितना सत्य है नहीं जानती पर आज भी आपको काशी की कुछ खास धर्मशालाऑ में दूर के अनेक गांवॉ -शहरॉ से अपने अन्तिम सांसॅ गिनते लोग मिल जायेंगे जो इसी सोच को लिए हैं कि शिव की नगरी में मरने से मोक्ष मिल जायेगा ।

यह काशी है या बनारस — प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का निर्वा्चन-स्थल ।आज वह बनारस जो बनारसी साडी,बनारसी लंगडा आम,बनारसी इक्का.बनारसी ठग ,बनारसी पान (जिसे खाकर खुल जाए बन्द अक्ल का ताला ) बनारस के गली-कूचे और बनारस की गंगा घाटॉ के लिए न केवल भारत के विभिन्न प्रदेशॉ के पर्यटकॉ वरन भारत आने वाले सभी विदेशी पर्यट्कों के लिए भी आकर्षण का केन्द्र रहा है अपने इस प्रधानमंत्री की और टकटकी लगाए हुए है । काशी उर्फ बनारस वह नगरी है जहां कबीर ने एक ऐसे समाज की कल्पना की थी जो जातिगत,वर्गगत,धर्मगत भेदॉ से ऊपर हो ।आज आवश्यकता है ऐसे ही समाज की और स्वच्छ गंगा की ।भगीरथ अपने प्रयास से गंगा को धरती पर लाए थे आज मोदीजी अपने भगीरथ प्रयास से अगले पांच वर्षॉ में गंगा को स्वच्छ करेंगे ।नमो नमा काशी/बनारस।

Dr. Kiran Nanda

Dr. Kiran Nanda

Dr. Kiran Nanda did her graduation and post-graduation from Delhi university. She did her Ph.d. on 'sant kavya mai vidroh ka swar' from Delhi university. She has authored a number of books and published many travelogues.

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