कमरे की खिडकी से

इस कमरे की खिडकी से

यह हिलता पेड नजर आता है ।

दूर कहीं पुलिस की

कार का सायरन बजता है,

साथ ही  सान्वी की आवाज-

cop आया cop आया ।

दोपहर का समय है,

चारॉ और सन्नाटा छाया है।

हवा अत्यंत तेज है,

घर की दिवारॅ,पलंग ,

सब हिल-हिल उठते हैं।

ऐसा लगता है अचानक

भूकंप का झटका लगा है,

पर फिर हंसी आती है।

यहां भूकम्प आने पर भी

सब हिल-डुल कर

फिर टिक जाते हैं।

यह लकडी के घर ,

जहां हर आहट पर

आवाज गूंज उठती है,

जहां हर पल अकेला है।

यहां कोई आंसू पॉछने वाला नहीं ।

उल्टी हथेली से आंसू पॉछ,

अपने गम खुद पी,

व्यकित हर पल अकेला ही आगे बढता चलता है

बढता चलता है।

Dr. Kiran Nanda

Dr. Kiran Nanda

Dr. Kiran Nanda did her graduation and post-graduation from Delhi university. She did her Ph.d. on 'sant kavya mai vidroh ka swar' from Delhi university. She has authored a number of books and published many travelogues.

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