उस शनिवार को मौसम भी अच्छा था और साउथ न्यू जर्सी के बेलमोर मॅ 5th औरoccean avenue पर जाने का कार्यक्रम बना ।यहां २६वां वार्षिक सी-फूड फेस्टीवल था ।सुबह नाशते के बाद दस बजे हम चल पडे । लंच वहीं करने का प्रोग्राम था ।एक-सवा घंटे की ड्राइव थी पर दो घंटे लग गए ।हाइवे पर छह पंक्तियां आने की और छह ही जाने की थी पर ऐसा लग रहा था कि मौसम खुशगवार होने के कारण हर कोई समुद्र की और भाग रहा था ।
बारह बजे के करीब हम ‘बेलमोर ‘पहुंच गए ।एक तरफ समुद्र था ,साथ-साथ सडक चल रही थी जिसपर गाडियॉ की कतार की कतार ।समुद्र तट पर लोग तटीय पोशाक मॅ अपने सामानॉ के साथ लदे-फदे ।बच्चॉ,स्त्री-पुरूषॉ की भीड ।एक घंटा घूमने के पश्चात पार्किंग की जगह मिली ।हम सब हंस रहे थे कि जितना समय आने मॅ लगा उसका आधा समय पार्किंग मॅ लग गया ।
खैर उतरे । गर्मी काफी थी। यहां मौसम अपने रंग दिखाता रहता है-एक दिन गर्मी तो अगले दिन बारिश और फिर हल्की ठंडक कि पतली स्वेटर पहन ली जाए ।भूख भी लग आई थी ।अतः पहले सोचा कि पेट पूजा कर ली जाए ।कंधे से कंधा टकरा रहा था ।यह हमारे यहां किसी भी त्योहार पर लगने वाले मेले की भांति ही था ।खाने-पीने के अनेकानेक स्टाल पर अन्तर था कि अधिकांश स्टाल समुद्र मॅ पाए जाने जीवॉ-जैसै मछली,केकडा,श्रिम्प ,लोबस्टर आदि के व्यंजन थे और कुछ आइसक्रीम,आलू के चिप्स,लाटरी,पर्स,टेटूस आदि के थे ।छोले-बठूरे,दोसा-बडा,समोसे ,जलेबी,चाट,कुल्फी की कमी बहुत खल रही थी । खैर नीति मेरे लिए एक मैक्सिकन कार्न बर्गर ढूंढ लाई जो ‘मेजरोला चीज’ से भरपूर था पर स्वादिष्ट था और साथ मॅ ‘बटरफ्लाई चिप्स’ व लेमोनेड ।चिप्स खाते ही ऐसा लगा जैसे तेल की धार अन्दर बह गई हो साथ ही याद आया दिल्ली मॅ कई स्थानॉ पर सडक किनारे तले जाते तेल के पकोडे ।कुछ ऐसी ही गंध आई ।सब अपना-अपना खाना लेकर जहां जिसको जगह मिल रही थी- मेज-कुर्सी,घास,बेंच- बैठ कर खा रहा था ।नीति आदि ने अपना ‘सी-फूड-प्लेटर’ खाया ।सान्वी को गर्मी भी लग रही थी पर वह समुद्र तट पर जाने को भी बैचेन थी ।खा-पीकर ५डालर प्रति व्यकित की दर से टिकट ले तट पर गए ।सान्वी ने देर तक रेत मॅ घर बनाए ,कुछ देर के लिए समुद्र के जल मॅ गए और फिर घर लौटने का समय हो गया ।