ऋषि कपूर को श्रद्धांजलि

बॉलीवुड का एक और स्तम्भ धराशायी हो गया ।अभिनेता ऋषिकपूर नहीं रहे ।अपनी जिजीविषा और अदम्य शक्ति के साथ कैंसर जैसे रोग के साथ लगभग दो वर्ष लड़ते हुए आज अपने प्राण त्याग दिए ।१९७० में ‘मेरा नाम जोकर ‘ फ़िल्म में junior राजकपूर के अभिनय से अपनी फ़िल्म यात्रा शुरू करने वाले ऋषिकपूर जब १९७३ में ‘बॉबी’ में एक रोमांटिक युवा अभिनेता के रूप में डिम्पल कपड़िया के साथ आए तो जहाँ इस फ़िल्म ने अप्रत्याशित सफलता प्राप्त की वहीं युवा वर्ग ही नहीं सभी आयु वर्ग के लोगों में अपनी छवि
स्थापित कर ली ।उसके बाद ऐसी फ़िल्मों की एक लम्बी क़तार है जिनमे -क़र्ज़ ,सागर ,हिना ,कभी -कभी ,अमर-अकबर -ऐन्थॉनी ,प्रेमरोग ,दीवाना उल्लेखनीय हैं ।९० के दशक के उत्तरार्ध में ‘आ
अब लौट चलें ‘ जैसी सफल फ़िल्म का निर्देशन किया ।उम्र के साथ मुख्य अभिनेता का किरदार छोड़ कर जब चरित्र अभिनय करना प्रारम्भ किया तो यहाँ भी वे अपने अभिनय कौशल से छा जाते थे फिर वह चरित्र चाहे ‘पटियाला हाउस’ ‘अग्निपथ’ के क्रोधी पिता का हो या कपूर एंड sons के प्यारे दादाजी का ,student of the year के प्रिन्सिपल का हो या १०२ नॉट आउट में अमिताभ के पुत्र का ।सभी उनकी कला और स्पष्टवादिता के क़ायल थे ।ऐसे कलाकार को मेरा अश्रुपूरित 🙏नमन

Dr. Kiran Nanda

Dr. Kiran Nanda

Dr. Kiran Nanda did her graduation and post-graduation from Delhi university. She did her Ph.d. on 'sant kavya mai vidroh ka swar' from Delhi university. She has authored a number of books and published many travelogues.

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