अमेरिका का स्वतंत्रता दिवस –४ जुलाई

कल ४ जुलाई थी-अर्थात  अमेरिका का स्वतंत्रता दिवस ।सबकी छुट्टी थी  ।हम लोग सुबह९ बजे ही तैयार हो कर अमेरिका की पुरानी राजधानी फिलाडेलफिया के लिए चल दिए  ।राष्ट्रीय अवकाश था ,इसलिए सडकॉ पर कारॉ की आवाजाही कम थी ।हम लगभग दो घंटे के भीतर शहर मॅ प्रवेश कर गए ।ढेरॉ पर्यटक दिखाई पड रहे थे ।जगह-जगह पुलिस थी ,काफी रास्ते बन्द थे विशेष रूप से  ‘नेशनल कांसटीट्युशन सॅटर, लिबर्टी बेल ,इंडीपेन्डेन्स माल ,बॅजमिन फ्रेंकलिन म्युजियम आदि ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र मॅ पर्याप्त सुरक्षा कर्मी तैनात थे ।बडी कठिनाई से पार्किंग मिली ।६वीं स्ट्रीट से परेड निकलनी थी ।हम उधर ही चल पडे ।

सडक के दोनो और लोग खडे थे -स्त्री,पुरूष -बच्चे हाथ मॅ अमेरिका का राष्ट्रीय ध्वज लिए ।परेड छोटी सी थी बैंड बजाते बच्चे,’विटेंज कार’,नृत्य करते गाते लोग,पर बडी रंग-बिरंगी ।कभी चलते -कभी रूकते कभी बैठते एक बजे इंडीपॅडेन्स माल मॅ पहुंचे ।लिखा था ‘आज अमेरिका का ‘हैप्पी बर्थ डे’ है सब गोल्डेन पेस्ट्री खा कर जाए’ ।शो चल रहे थे ,लम्बी पंक्तियां लगी थीं ।हमने भी ‘पेस्ट्री’ खाई और आगे चल पडे ।बाहर धूप काफी तेज थी  ।साथ ही नया खुला ‘नेशनल कांसटीट्युशन सॅटर था ।यह हाल मॅ ही खुला है लाबी मॅ जगह-जगह १७वीं शताब्दी के लघु उद्योग-धन्धॉ की प्रदर्शनी लगी हुई थी ,उस काल की सैनिक वेशभूषा मॅ सजे स्त्री-पुरूष आदि भी थे  ।एक तरफ बच्चॉ के मनोरंजन के लिए आर्ट -क्राफ्ट का काउंटर था ।सान्वी ने ध्वज बनाया ,मॅने प्रदर्शनी का चक्कर लगाया तब तक शो का टाइम हो गया ।  गोलाकार थियेटर मॅ अमेरिका के २२४वर्षॉ पूर्व के इतिहास को दोहराया गया –ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्रता मिलने के पश्चात नए प्रजातांत्रिक संविधान के निर्माण की संरचना को पुनः प्रस्तुत किया गया ।शो की समाप्ति के बाद बाहर निकल कर पूरी इमारत का चक्कर लगाया  ।बाहर निकलते तक ३ बज गए थे ।भूख लग आई थी एक इटेलियन रेस्टॉरॅट मॅ खाना खाया और वापस चल पडे ।

शाम को एडीसन मॅ ‘साउथ एशियन कम्युनिटी आउट्रिच’ की तरफ से पेपैअन्नि पार्क मॅ स्वतंत्रता दिवस समारोह का उत्सव था पिछले सप्ताह से ही जगह-जगह इसके बैनर लगाये हुए थे ।देर रात आतिशबाजी का भी आयोजन था ।हम लौट कर वहीं जा पहुंचे ।बडे विशाल पैमाने पर इंतजाम किया गया था ,खाने-पीने के अनेक स्टाल बच्चॉ के लिए राइड यानि एक उत्सव का वातावरण ।एडीसन की मेयर ने  लॅप जला कर उत्सव प्रारम्भ किया ।सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी था ,बच्चॉ ने अमेरिका का राष्ट्रीय गान गाया ।मेयर तथा अन्य महत्वपूर्ण अतिथियॉ को सम्मानित किया गया ।बालीवुड के मधुर गीतॉ को आक्रेस्टा के साथ प्रस्तुत किया गया ,माहौल पूरा देसी हो गया ।कुछ क्षणॉ को सब भूल गए कि भारत मॅ हैं या अमेरिका मॅ ।सित्मबर के महीने मॅ रिलीज होने वाली एक बालीव्य्ड फिल्म ‘प्यार क्यॉ’के पोस्टर भी रिलीज किये गए ।अन्त में भव्य आतिशबाजी से समाप्ति हुई ।

वस्तुतः अमेरिका अगर सबसे पुराना प्रजातंत्र है तो भारत सबसे बडा प्रजातंत्र है। प्रवासी साउथ एशियनस ने सिदध कर दिया कि हम जहां रहते हैं उसको अपना लेते हैं पर अपनी मिट्टी को भूला नहीं पाते ।उन्हें  हम पूरा आदर देतॅ हैं ।उनके सपनॉ कोपूरा करने वाला देश भी उन्हें उतना प्रिय है जितना जन्मदेने वाली मातृभूमि ।

Dr. Kiran Nanda

Dr. Kiran Nanda

Dr. Kiran Nanda did her graduation and post-graduation from Delhi university. She did her Ph.d. on 'sant kavya mai vidroh ka swar' from Delhi university. She has authored a number of books and published many travelogues.

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